अल्पकालिक विराम दीर्घकालिक हो चला।
गए वर्ष मार्च माह में कोविड-19 के कारण स्कूल,कॉलेजों में पठन-पाठन का कार्य स्थगित हो गया था. बच्चे विद्यालय से दूर हुए,तो नौजवान कॉलेजों से।शिक्षण आदि कार्यो में लगे लोगों को लगा कि ये विराम अल्पकालीक है, क्यों न इसे किसी वेकेशन की तरह मनाया जाए। समय के साथ ये अल्पकालिक विराम दीर्घकालिक हो चला, सिलसिला इस साल भी जारी है। देश की शिक्षालय पर विराम लगने से सबसे ज्यादा प्रभावित सरकारी स्कुलों में पढ़ने वाले बच्चें हुए हैं। ये बच्चे समाज के क्रीम क्लास से तालुकात नहीं रखते, बल्कि उस तबके से तालुकात रखते हैं, जिनकी रोजमर्रा की जरूरत भी उनकी लाख कोशिशों से बमुश्किल पूरी हो पाती है। तो मोबाइल फोन और लैपटॉप कैसे आएगा? शिक्षा सबके लिए जरूरी है, सब पढ़े सब बढ़े जैसे नारे आमतौर पर इन्हीं आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए कहा गया है। परिवर्तन संसार का नियम है, परिवर्तन चिरन्तन सत्य है। कुछ परिवर्तन शैक्षिक व्यवस्था में गए वर्ष हुआ। विद्यार्थी अब कक्षा में गुरु से नहीं, बल्कि गूगल के मार्फ़त मिलने लगे। डिजिटल शैक्षणिक क्रांति आई और डिजिटल शिक्षा उद्योग के रूप में विकसित हो चला। समाज के एक वर्ग ने इसे